Haus & Kinder के फ़ाउंडर ने अपने लाइफ़स्टाइल ब्रैंड को एक मिलियन से ज़्यादा कस्टमर तक किस तरह पहुँचाया
16 अक्टूबर, 2024 | लेखक: शौनकराज देशपांडे, मार्केटिंग मैनेजर

एक मिलियन से ज़्यादा कस्टमर के साथ सफल बिज़नेस बनाने का रास्ता रणनीतिक विज़न, इनसाइट की मदद से लिए गए फ़ैसले और कस्टमर की ज़रूरतों पर लगातार ध्यान देने से तैयार होता है. हाल ही में डिजिटल-फ़र्स्ट लाइफ़स्टाइल ब्रैंड Haus & Kinder के फ़ाउंडर साकेत धनखड़ ने फ़ायरसाइड बातचीत में अपने ब्रैंड के सफ़र, रणनीतियों और बड़ी उपलब्धियों को शेयर किया और मुख्य सीखों पर विचार किया.
यहाँ इस चर्चा से सामने आए पाँच अहम नतीजे दिए गए हैं:
- ज़रूरी कमियों को पहचानना: साकेत का सफ़र घर और बच्चे के लिए ज़रूरी चीज़ों की कैटेगरी में कस्टमर की परेशानियों पर गहराई से विचार करने के साथ शुरू हुई. रिव्यू का अध्ययन करके, संभावित कस्टमर से बातचीत करके और मार्केट के ट्रेंड का विश्लेषण करके, उन्होंने डिज़ाइन-आधारित, क्वालिटी पर फ़ोकस ब्रैंड बनाने के अवसर पर ध्यान दिया, जो कस्टमर के एक्सपीरिएंस को बेहतर कर सके.
- ज़्यादा कस्टमर तक पहुँचने के लिए रणनीतियों को लागू करना: ब्रैंड लगातार अपनी प्रोडक्ट कैटेगरी का विश्लेषण करता है और कंज़्यूमर की अधूरी माँगों को पूरा करने के लिए कमियों की पहचान करता है. जैसे, उन्होंने कंज़्यूमर की ज़रूरतों के आधार पर फ़िट होने वाली बेडशीट पेश की. पर्दे, तौलिए और कुशन जैसी सम्बंधित कैटेगरी में जाने से भी नए कस्टमर तक पहुँचने में मदद मिली.
- ब्रैंड की बेहतर पहचान बनाना: Haus & Kinder के लिए मज़बूत ब्रैंड पहचान बनाना अहम था. साकेत ने ब्रैंड की पोज़िशन को "माँ की ख़ूबसूरत दुनिया" के तौर पर तैयार किया. साथ ही, पेस्टल रंगों और लाइफ़स्टाइल इमेजरी का इस्तेमाल करके अंतर्राष्ट्रीय हिसाब से ब्रैंड की दुनिया को ध्यान से तैयार किया. इस स्पष्ट ब्रैंड विज़न ने कंपनी को अपनी ऑडियंस के साथ गहरा भावनात्मक सम्बंध बनाने में मदद की.
- आगे बढ़ने के लिए HAQM Ads रणनीतियों का फ़ायदा उठाना: Haus & Kinder ने HAQM पर संदर्भ के अनुसार सर्च ऐड से लेकर Sponsored Display और वीडियो ऐड तक कई तरह के ऐड फ़ॉर्मेट का इस्तेमाल किया. इस तरीक़े से पहुँच और कुशलता को ज़्यादा से ज़्यादा करने में मदद मिलती है. हाई-क्वालिटी वाला कॉन्टेंट, ख़ास तौर पर वीडियो, ब्रैंड में नए कस्टमर को एंगेज करने में अहम भूमिका निभाता है. वे सभी ऐड फ़ॉर्मेट में एंगेजिंग, जानकारी देने वाला और आकर्षक कॉन्टेंट बनाने पर फ़ोकस करते हैं, जो ऐड परफ़ॉर्मेंस को बेहतर करता है और कई टच पॉइंट पर ख़रीदारों को एंगेज करता है.
- डेटा से चलने वाली इनसाइट का इस्तेमाल करना: साकेत ने TACOS (बिक्री पर कुल एडवरटाइज़िंग लागत) और ACOS (बिक्री पर एडवरटाइज़िंग लागत) जैसे मेट्रिक के ज़रिए ओवरऑल ग्रोथ और कुशलता को मापने के लिए अपना तरीक़ा शेयर किया. उन्होंने कीवर्ड में रैंकिंग, व्यू और शेयर ऑफ़ वॉइस जैसी इनसाइट का इस्तेमाल करके ब्रैंड के हेल्थ की ओवरऑल जानकारी पाने के लिए HAQM Pi जैसे HAQM Ads टूल की अहमियत पर भी बात की. उन्होंने वैल्यू प्रपोज़िशन, लागत और क्रिएटिव के असर की अहमियत पर जोर देने के लिए क्लिक-थ्रू रेट (CTR), कन्वर्शन रेट (CVR) और प्रति-क्लिक-लागत (CPC) जैसे मुख्य परफ़ॉर्मेंस मेट्रिक को मापने के बारे में भी बात की. इन मेट्रिक में सबसे ऊपर रहकर और अपनी रणनीति को लगातार ऑप्टिमाइज़ करके, Haus & Kinder की टीम कुशल तरीक़े से कस्टमर हासिल कर पाई और ग्रोथ को आगे बढ़ा पाई.
शुरुआत से लेकर मिलियन-कस्टमर ब्रैंड बनने तक का Haus & Kinder का सफ़र डिजिटल-फ़र्स्ट ब्रैंड के लिए मुख्य इनसाइट ऑफ़र करती है. मुख्य बातों में पूरे मार्केट का गहराई से रिसर्च, ब्रैंड की स्पष्ट पोज़िशन बनाना, ऐड और कॉन्टेंट का रणनीतिक इस्तेमाल और सावधानीपूर्वक परफ़ॉर्मेंस को ट्रैक करने की अहमियत शामिल है. अपने विज़न पर खरा उतरकर और कस्टमर की राय और इंडस्ट्री के ट्रेंड के आधार पर लगातार बदलकर, Haus & Kinder डिजिटल रिटेल स्पेस में लगातार आगे बढ़ रहा है.
HAQM Ads लीडर कुणाल सिंह और Haus & Kinder के फ़ाउंडर साकेत धनखड़ के बीच फ़ायरसाइड बाचीत